Vidyut Dhara Kise Kahate Hain : दोस्तों आज हम आप को विद्युत धारा किसे कहते है के बारे में लेख लिखा है। इस लेख में हमने विद्युत धारा, विद्युत धारा के प्रकार , विद्युत धारा का मापन इस लेख मे इत्यादी के बारे में विस्तार से जानकारी दी है।
अक्सर कक्षा 10,11,12 के विद्यार्तियो को विद्युत धारा के बारे पूछा जाता है। इसलिए विद्यार्तियो की सहायता के लिए हमने Vidyut Dhara Kya Hai लिखा है।

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Vidyut Dhara Kise Kahate Hain In Hindi
विद्युत धारा :- किसी काटक्षेत्र से प्रति एकांक समय में गुजरने वाला नेट आवेश विद्युत धारा कहलाती है।
Q आवेश अनुप्रस्थ काट से t समय में गुजरता है तो परिभाषा से
विद्युत धारा = Q /t
Vidyut Dhara Ka Matrak
विद्युत धारा का मात्रक :- SI अंतर्राष्ट्रीय पद्धति में विद्युत धारा को मूल राशि माना गया है।
विद्युत धारा का मात्रक = कूलाम /समय = Cs-1
चूँकि अंतर्राष्ट्रीय पद्धति में इसे मूल राशि माना है इसे अंतर्राष्ट्रीय पद्धति में एम्पियर कहते है।
अतः विद्युत धारा का मात्रक एंपियर है।
विद्युत धारा की विमा = चूँकि यह मूल राशि है इसलिए इसकी विमा [ A¹ ]होती है।
विद्युत धारा एक अदिश राशि है।
परिपथ में विद्युत धारा की दिशा को व्यक्त किया जाता है। फिर भी यह सदिश राशि नहीं हैं क्योंकि ये सादिश योग नियम का पालन नहीं करती है। क्योंकि दो विद्युत धाराओं का योग उनके बीच में कोण पर निर्भर नहीं करता है।
Vidyut Dhara Ke Prakar
विद्युत धारा के प्रकार :- विद्युत धारा दो प्रकार की होती है।
- दिष्ट धारा :- ऐसी धारा जिसकी दिशा समय के साथ अपरिवर्तित रहती है । दिष्ट धारा कहलाती है।
सैल या बैटरी से प्राप्त धारा दिष्ट धारा होती है दिष्ट धारा की आवृत्ति शून्य होती है।
- प्रत्यावर्ती धारा :- वह धारा जिसका परिमाण तथा दिशा समय के सापेक्ष आवृत्ति रूप से परिवर्तित होती है उसे प्रत्यावर्ती धारा कहते हैं
एक निश्चित संतरा पश्चात एक धारा की दिशा विपरीत हो जाती है।
भारत में घरेलू उपयोग के लिए प्रत्यावर्ती धारा की आवृत्ति 50 हर्टज तथा अमेरिका में 60 Hz हैं।
विद्युत धारा की दिशा :- विद्युत धारा की दिशा धन आवेश की ओर से ऋण आवेश की ओर होती है। अर्थात विद्युत धारा की दिशा धन आवेश की दिशा में होती है तथा ऋण आवेश की विपरीत दिशा में होती है। धन आवेश का प्रवाह उच्च विभव से निम्न विभव की ओर होता है तथा जिन आवेश का प्रवाह निम्न विभव से उच्च विभव की ओर होता है अतः ऋण आवेश का प्रवाह धारा की दिशा के विपरीत होता है।
धारा जो उच्च विभव से निम्न विभव की ओर बहती है परंपरागत धारा कहलाती है।
धात्विक चालकों में धारा मुक्त इलेक्ट्रॉनों के प्रवाह के कारण होती है।
विद्युत अपघट्य में धारा धन एवं ऋण आयनो के कारण होती है।
अर्धचालको में इलेक्ट्रॉन तथा हॉल के कारण होती है
नोट :- यदि किसी चालक में प्रवाहित आवेश की दर समय के साथ नहीं बदलती है जो धारा को स्थायी धारा कहते है। तो स्थायी धारा चाल के सभी परिच्छेदों के लिए समान होगी।
Vidyut Dhara Ka Mapan
विद्युत धारा का मापन :- विद्युत धारा मापन अमीटर द्वारा मापा जाता है। अमीटर को हमेशा परिपथ में श्रेणीक्रम में जोड़ा जाता है इसमें सदैव अमीटर के धन सिरे को बैटरी के धन सिरे से जोड़ा जाता हैं।
धारा घनत्व :- किसी चालक में किसी बिंदु पर प्रति एकांक क्षेत्रफल से लंबवत गुजरने वाली विद्युत धारा को उस बिंदु पर धारा घनत्व कहते हैं।
धारा घनत्व एक सदिश राशि है। इसे j द्वारा प्रदर्शित करते हैं
धारा घनत्व का मात्रक एंपियर/मीटर² होता है। इसकी विमा [AL-²] होती हैं।
विद्युत धारा का उष्मीय प्रभाव :- किसी चालक में विद्युत धारा प्रवाहित करने पर बैंक गर्म होने लगता है तथा उसमें कुछ ऊष्मा संचित होती है जिसे विद्युत धारा का उष्मीय प्रभाव कहते हैं। जैसे विद्युत बल्ब, विद्युत प्रेस, विद्युत हीटर आदि।
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