परागण क्या है | परागण के प्रकार | स्वपरागण | पर परागण | Pollination In Hindi

Pollination In Hindi : प्रिय मित्रों आज हम आपको परागण के बारे में विस्तार से बताएंगे। आज हमने इस लेख में परागण क्या है, परागण के प्रकार, स्वपरागण, पर परागण इत्यादी के बारे आपके लिए विस्तार से जानकारी दी है। हमारा यह लेख पढ़ने के बाद आपको Paragan Kya Hai की पूर्ण जानकारी के बारे में पता लग जाएगा। 

हमारा यह लेख कक्षा 9, 10, 11, 12 के विद्यार्थियों के लिए बहुत अधिक उपयोगी है। इसलिए विद्यार्तियो की सहायता के लिए हमने Pollination In Hindi लिखा है।

What Is Pollination In Hindi


परागण :- पुंकेसर में उपस्थित पराग कणों का वर्तिकाग्र तक पहुंचना परागण कहलाता है।  

  • परागण के लिए किसी क्रमक या साधन की आवश्यकता होती है। 
  • पराग कणों का वर्तिकाग्र पर अंकुरण होता है। 
  • अंकुरण के पश्चात बनाने वाली पराग नली से युग्म को का स्थानांतरण होता है। 

एकलिंगता :- प्रकृति में पाए जाने वाले अनेक पौधों पर एक लिंग पुष्प लगते हैं। 

इन पुष्पों में पर परागण के अलावा अन्य कोई विकल्प नहीं होता है। उदा. पपीता, ताड़ इत्यादि।

द्विलिंगता :- सामान्य पुष्पा द्विलिंगी होते हैं। जिनमें स्वपरागण होता है।

Types Of Pollination In Hindi


परागण के प्रकार :- परागण मुख्यतः दो प्रकार का होता है। 

  • स्वपरागण
  • पर परागण

स्वपरागण :- जब किसी एक पुष्प के पराकाम उसी पुष्प के वर्तिकाग्र पर पहुंचते हैं तो उसे स्वपरागण करते हैं। 

सामान्यतः स्वपरागण द्विलिंगी पुष्प में होता है। 

स्वपरागण दो प्रकार का होता है। 

  • स्वयुग्मक
  • सजात पुष्पी परागण

स्वयुग्मक परागण :- द्विलिंगी पुष्पों में एक ही पुष्प के परागकण उसी के वर्तिका ग्रह पर गिरते हैं तो स्वयुग्मक कहलाता है। उदा. मटर, चना, सरसों इत्यादि। 

सजात पुष्पी परागण :- जब किसी एक ही प्रकार के पौधे पर एक ही प्रकार के पुष्प लगते हैं तो इनकी बीच होने वाले परागण को सजात पुष्पी परागण कहते हैं। उदा. मक्का, लौकी, खीरा, ककड़ी इत्यादि। 

स्वपरागण के लिए युक्तियां अनुकूलन :- 

अनुनमिल्ये पुष्प :- जब किसी पौधे के पुष्प स्वपरागण तक अथवा सदैव बंद रहते हैं। उन्हें अनुनमिल्ये पुष्प कहा जाता है। 

इन पुष्पों में केवल स्वपरागण संभव है। 

उदा. मेहंदी इत्यादि। 

समकाल पंबता :- जब किसी पुष्प के स्त्रीकेसर तथा पुंकेसर एक ही समय पर परिपक्व होते हैं। तब स्वयं परागण की संभावना बढ़ जाती है। 

वायु तथा कीटो द्वारा भी स्वपरागण हो सकता है। 

कुछ पुष्पों के पुंकेसर पकने के बाद मुड़ जाते हैं। तथा वर्तिकाग्र के समीप आ जाते हैं। तब उनमें स्वपरागण संभव है। 

द्विलिंगता :- सामान्य पुष्पा द्विलिंगी होते हैं। जिनमें स्वपरागण होता है। 

पर परागण :- जब परागण क्रिया किन्ही दो पादपों के पुंकेसर व स्त्रीकेसर के मध्य हो उसे पर परागण कहते हैं।

पुष्प द्विलिंगी हो सकते हैं परंतु परागण करने वाले पुष्प भिन्न पौधों पर लगे हुए होना आवश्यक है। 

Pollination In Hindi

पर परागण


पर परागण :- जब परागण क्रिया किन्ही दो पादपों के पुंकेसर व स्त्रीकेसर के मध्य हो उसे पर परागण कहते हैं।

पुष्प द्विलिंगी हो सकते हैं परंतु परागण करने वाले पुष्प भिन्न पौधों पर लगे हुए होना आवश्यक है। 

पर परागण की युक्तियां अनुकूलन :- 

एकलिंगता :- प्रकृति में पाए जाने वाले अनेक पौधों पर एक लिंग पुष्प लगते हैं। 

इन पुष्पों में पर परागण के अलावा अन्य कोई विकल्प नहीं होता है। उदा. पपीता, ताड़ इत्यादि। 

भिन्न काल पक्वता :- कुछ पौधों में स्त्रीकेसर तथा पुंकेसर का परिपक्व एक साथ नहीं होता है। या पुंकेसर पहले परिपक्व होते हैं या फिर स्त्रीकेसर पहले परिपक्व होते हैं। 

स्वबंध्यता :- कुछ पौधों के परागकण वर्तिकाग्र तक पहुंच जाते हैं लेकिन उनका अंकुर नहीं होता है। स्वबंध्यता कहलाता है। 

अवरुद्ध परागणता :- वर्तिकाग्र और परागकोषों की स्थिति इस प्रकार हो की परागकण का वर्तिकाग्र तक पहुंचना असंभव हो। 

इस प्रकार समकाल पकवता होने पर भी स्वपरागण नहीं होता है। 

जैसे किसी पुष्प के पराग कोष पुष्प से बाहर लटके हो तथा वर्तिका उद्गार हो। 

विसमरूपता :- जब पुष्प के पुंकेसर तथा स्त्रीकेसर भिन्न तलो पर लगे हो तो वह विसमरूपता कहलाती है। 

पर परागण की विधियां :- पर परागण की निम्न विधियां हैं। 

  • वायु द्वारा :- इस विधि में परागण वायु द्वारा संपन्न होता है। जिन पौधों में वायु परागण होता है वे बहुत अधिक संख्या में परागकण उत्पादित करते हैं। यह परागकण हल्के, चिकने तथा छोटे होते हैं। जो वायु द्वारा आसानी से ले जाए जा सकते हैं। कुछ पौधों में वर्तिका लंबी होती है तथा कुछ में वर्तिकाग्र व शाखित रोम युक्त होती है। 
  • जल द्वारा :- अनेक जलीय पौधों में पुष्प जल के ऊपर खीलते हैं। जिनमें आसानी से जल परागण होता है। मिरियोफिल्म एवं निमिया जलीय पादप होते हुए भी इनमें जल परागण नहीं होता है। 

जल परागण क्रिया दो प्रकार की होती है। 

  • अधोजल परागण :- यह परागण क्रिया जल के अंदर संपन्न होती है। नर पौधों द्वारा उत्पादित परागकण अपने घनत्व के कारण है उसी तल पर तरते हैं जिस पर वर्तिकाग्र लगे होते हैं।
  • अधीजल परागण :- यह परागण क्रिया जल सतह पर संपन्न होती है। कुछ पौधों के पुष्प परिपक्व पश्चात जल की सतह पर आ जाते हैं। यह क्रिया अधीजल परागण कहलाती है।
  • कीट परागण :- पुष्पी पादप का रंगीन मकरंद युक्त सुगंधित व आकर्षक भाग हो जिसकी और कीट आकर्षित होते हैं। 

कुछ किट बड़े पुष्पों में रह करें सर्दी व गर्मी से सुरक्षा करते हैं उसी समय परागण होता है। 

मधुमक्खी तितली पौधों में परागण की क्रिया करते हैं। 

लगभग 80% परागण मधुमक्खियों द्वारा उत्पन्न होता है। 

  • पक्षी परागण :- उष्णकटिबंधीय पादपों के पुष्प चमकदार व मकरंद युक्त होते हैं।

इस विधि द्वारा बहुत कम पौधों में परागण होता है। 

हमिंग बर्ड द्वारा बिगोनिया पादप में परागण होता है।  इसके पुष्प वर्तिका नली के आकार की होती हैं। 

सेमल में कोआ तथा मैना द्वारा परागण संपन्न होता है। 

  • चमगादड़ द्वारा :- चमगादड़ कीट फल तथा मकरंद प्राप्त करने के लिए रात्रि के समय पौधों तक जाते हैं। रात्रि के समय खिलने वाले पौधों में अधिक मकरंद होता है। 
  • गैस्ट्रोपॉड परागण (शंख द्वारा) :- गुलमोहर में गिलहरी द्वारा परागण होता है। 

सर्प वृक्ष में घोंघे द्वारा परागण होता है। 

  • असंघता :- पूर्णता जनन योग्य नर व मादा युग्मको के मध्य निषेचन विफलता को असंघता कहते हैं। 

यह दो प्रकार की होती है। 

  • अंतरा जाती :- एक ही वंश की विभिन्न जातियों के मध्य निषेचन नहीं होता है। 
  • अंत: जाति :- इस प्रकार की अनिशेचिता के एक ही जाति के सदस्य में होती है। इसे स्वयं बंध भी कहते है। 

अक्सर पूछे गए सवाल –

वायु द्वारा परागण क्या है ?

वायु द्वारा :- इसमें परागण वायु द्वारा संपन्न होता है। जिन पौधों में वायु परागण होता है जो बहुत अधिक संख्या में परागकण उत्पादित करते हैं। ये परागकण हल्के, चिकने तथा छोटे होते हैं। जो वायु द्वारा आसानी से एक जगह से दुसरी जगह ले जाए जा सकते हैं। यह विधि वायु द्वारा परागण कहलाती है।

पर परागण की विधियां क्या है ? बताओ

पर परागण की विधियां :- पर परागण की निम्न विधियां हैं। 
वायु द्वारा परागण
जल द्वारा परागण
कीट परागण
पक्षी परागण
चमगादड़ द्वारा परागण
गैस्ट्रोपॉड परागण (शंख द्वारा परागण)

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1 thought on “परागण क्या है | परागण के प्रकार | स्वपरागण | पर परागण | Pollination In Hindi”

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