Mitochondria Ki Khoj Kisne Ki : दोस्तों आज हम आप को माइटोकॉन्ड्रिया की खोज किसने की के बारे में लेख लिखा है। इस लेख में हमने माइटोकॉन्ड्रिया की खोज किसने की, माइटोकॉन्ड्रिया क्या हैं, माइटोकॉन्ड्रिया के कार्य, माइटोकॉन्ड्रिया की संरचना इस लेख मे इत्यादी के बारे में विस्तार से जानकारी दी है।
अक्सर कक्षा 8,9,10,11,12 के विद्यार्तियो को माइटोकॉन्ड्रिया के बारे पूछा जाता है। इसलिए विद्यार्तियो की सहायता के लिए हमने Mitochondria Ki Khoj लिखा है।
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Mitochondria Ki Khoj Kisne Ki Thi
माइटोकॉन्ड्रिया की खोज किसने की :- माइटोकॉन्ड्रिया का नामकरण जर्मन माइक्रोबायोलॉजिस्ट कार्ल बेंडा (Carl Benda) द्वारा सन् 1898 में किया गया था।
इससे पहले सन् 1886 में रिचर्ड अल्टमैन द्वारा इसे “Biobasts” भी कहा गया था।

Mitochondria Kya Hai
माइटोकॉन्ड्रिया क्या है :- माइटोकोंड्रिया दोहरी झिल्ली से घिरी जीवित रचना होती हैं। माइटोकोंड्रिया में ऑक्सी श्वसन की क्रिया सम्पन्न होती हैं।
माइटोकोंड्रिया जन्तुओ तथा पौधों की सभी जीवित कोशिकाओं में पायी जाने वाला कोशिकांग है। जो नीली – हरी शैवाल तथा बैक्टीरिया की कोशिकाओं में नहीं पायी जाती हैं।
माइटोकॉन्ड्रिया की क्रिस्टी की सतह व आंतरिक झिल्ली पर बहुत से छोटे ( सूक्ष्म ) कण पाए जाते हैं। जिन्हें ऑक्सीसोम कहते हैं। ऑक्सीसोम कण को इलेक्ट्रॉन अभिगमन कण भी कहते हैं।
माइटोकॉन्ड्रिया आवश्यकता के अनुसार अपना आकार बदल कोशिका के अंदर कहीं भी स्थान बदल लेता है।
जब कोशिका को ज्यादा ऊर्जा की आवश्यकता होती है। तो माइटोकॉन्ड्रिया फैलकर बड़ा हो जाता है। तथा अपने आप को विभाजित कर लेता है। लेकिन जब कोशिका को कम ऊर्जा की जरूरत होती है। तो यह अपने आप को निष्क्रिय कर लेते हैं।
Mitochondria Ke Karya
माइटोकांड्रिया के कार्य :- माइटोकांड्रिया के कार्य निम्न है।
- माइटोकॉन्ड्रिया का मुख्य कार्य कोशिका के लिए ऊर्जा उत्पादन करना है।
- माइट्रोकांड्रिया कैल्शियम की सांद्रता को भी नियंत्रित करता है।
- माइटोकॉन्ड्रिया कुछ खास स्टेरोइड उत्पन्न करता है।
- माइटोकॉन्ड्रिया ऊर्जा के साथ साथ ऊष्मा भी उत्पन्न करता है।
- माइटोकॉन्ड्रिया कुछ मात्रा में कार्बन डाइऑक्साइड गैस को उत्पन्न करते हैं।
- अलग-अलग माइट्रोकांड्रिया अलग-अलग प्रकार के प्रोटीन बनाते हैं।
- न्यूरॉन्स में पाए जाने वाले माइटोकॉन्ड्रिया न्यूरोहोर्मोन के निर्माण में मदद करते हैं।
Mitochondria Ki Sanrachna
माइटोकॉन्ड्रिया की संरचना :- ऊर्जा उत्पन्न करने के लिए माइटोकॉन्ड्रिया के पास विशिष्ट संरचना होती है।

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- बाहरी झिल्ली – बाहरी भाग बाहरी झिल्ली द्वारा सुरक्षित रहता है। यह बहुत ही कोमल होता है तथा इसमें फॉस्फेटिडिल कोलीन की मात्रा अधिक होती है। इसकी मोटाई 60-70 Å होती है।
- आंतरिक झिल्ली – कोशिका के दूसरे कोशिकांगों (Organelles) की तरह माइटोकॉन्ड्रिया की भी आंतरिक झिल्ली होती है। इसमें बहुत सारे ऑक्सीडेटिव फॉस्फोराइलेशन के एंजाइम पाए जाते हैं तथा ऊर्जा बनाने के लिए बहुत सारे कार्य करता हैं।
- क्रिस्टी – आंतरिक झिल्ली में मौजूद उभारो को क्रिस्टी कहा जाता है। ये आंतरिक झिल्ली की सतह का क्षेत्रफल बढ़ाने में मदद करती है।
- मैट्रिक्स – आंतरिक झिल्ली के अंदर मौजूद स्थान को मैट्रिक्स कहा जाता है। माइटोकॉन्ड्रिया का ज्यादातर प्रोटीन इसी स्थान में होता है। राइबोसोम और डीएनए भी इसी मैट्रिक्स में होते है।
- इसका व्यास 0.2-1.0µm और लंबाई 1.0-4.1µm होती है।
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