मानव कंकाल के बारे में संपूर्ण जानकारी तथा उसकी संरचना | Manav Kankal

Manav Kankal : प्रिय मित्रों आज हम आपको मानव कंकाल के बारे में विस्तार से बताएंगे। आज हमने इस लेख में मानव कंकाल, कंकाल की आंतरिक संरचना, इत्यादी के बारे आपके लिए विस्तार से जानकारी दी है। हमारा यह लेख पढ़ने के बाद आपको Manav Kankal Kya Hai की पूर्ण जानकारी के बारे में पता लग जाएगा। 

हमारा यह लेख कक्षा 9, 10, 11, 12 के विद्यार्थियों के लिए बहुत अधिक उपयोगी है। इसलिए विद्यार्तियो की सहायता के लिए हमने Human Kankal In Hindi लिखा है।

Manav Kankal Tantra


मानव में कंकाल तंत्र :- मानव का कंकाल अस्थि और उपास्थि से मिलकर बना होता है। शरीर को आकार अथवा ढांचा आलंबन प्रदान करने के साथ-साथ हैं गति एवं चलन एवं रक्त कणिकाओं के निर्माण का कार्य करते हैं। मानव में उपास्थि शिशु अवस्था में अधिक संख्या में होती है। शरीर के विकास के साथ-साथ अस्थि में बदल जाती हैं।  

अस्थि एवं उपास्थि :- 

अस्थि :- अस्थि में निम्न गुण पाए जाते हैं। 

  • अस्थियां दृढ़ कठोर एवं मजबूत होती हैं। 
  • अस्थि पर उपस्थित कोशिकाएं ओस्टियोसाइट कहलाती हैं। 
  • अस्थि का केंद्रीय भाग अर्थात आगहत्रियो सीन प्रोटीन से बना होता है। 
  • अस्थि में कैल्शियम एवं फास्फेट लवण पाए जाने के कारण अस्थि दृढ़ होती हैं। 
  • अस्थि के केंद्रीय भाग अर्थात अस्थि मज्जा में रक्त कणिकाओं का निर्माण होता है। 

उपास्थि :- उपास्थि में निम्न गुण पाए जाते हैं। 

  • उपास्थि कोमल एवं लचीली संरचना होते हैं। 
  • उपास्थि की आधात्री प्रोटीन से बनी होती है। 
  • उपास्थि के चारों ओर उपस्थित आवरण है पेरिकोंड्रीन आवरण कहलाता है। 

Manav Kankal Image


मानव कंकाल की संरचना :- मानव में जन्म के समय कंकाल में कुल 270 अस्थि पाई जाती हैं। परंतु वयस्क अवस्था में 206 अस्थि पाई जाती हैं। क्योंकि शरीर के विकास के साथ-साथ कुछ उपास्थि एवं अस्थि संयुक्त अस्थियों में बदल जाती हैं। मानव का कंकाल तंत्र दो प्रकार के कंकाल में विभेदित होता है। 

  • अक्षीय कंकाल
  • परिधिय कंकाल
Manav Kankal

अक्षीय कंकाल :- मानव में अक्षीय कंकाल लंब अक्ष पर स्थित होता है। जिसमें कुल 80 अस्थि होती हैं। अक्षीय कंकाल निम्न कंकाली भागों से मिलकर बना होता है। 

  • करोटी
  • मेरुदंड
  • उरोस्थी
  • पसलियां

करोटी :- मानव में सिर का कंकाल करोटी कहलाता है। जो कुल 29 अस्थि से मिलकर बना होता है। रोटी की अस्थि परस्पर शिवनो द्वारा जुड़ी रहती हैं। 

करोटी की अस्थि को चार भागों में बांटा जाता है। 

  • कपालिए अस्थि :- मनुष्य में कुल 8 कपाल अस्थियां पाई जाती हैं। जो परस्पर सिवनो द्वारा जुड़कर है कपाल का निर्माण करती हैं जो मस्तिष्क को सुरक्षा एवं जबड़ो को आलंबन प्रदान करते हैं। 
  • आन्नी की अस्थियां :- चेहरे की अस्थि आन्नि की अस्थि अथवा फेशियल अस्थि कहलाती है। मानव में इनकी संख्या 14 होती है जो आपस में मिलकर चेहरे का निर्माण करती हैं।  इनमें मुख्य नासा अस्थि, तालु अस्थि, दंतीका अस्थि, जबड़े की अस्थि आदि होती हैं। निचले जबड़े का निर्माण दंतिका अस्थि द्वारा होता है। 
  • कंठी की अस्थि :- मुख्य गुहा के तल पर कंठ का निर्माण होता है। अतः कंठ का निर्माण करने वाली अस्थि कंठी की अस्थि कहलाती है। जिसकी संख्या एक होती है। 
  • मध्य कर्ण की अस्थि :- मनुष्य में प्रत्येक कर्ण के मध्य कर्ण में कूल तीन अस्थि क्रमशः मेलियस, इंकस, एवं स्टेपिस पाई जाती हैं। अर्थात दोनों और के मध्य कर्ण में कूल छ: अस्थि पाई जाती हैं। 

इस प्रकार मानव की करोटी में कुल 80 अस्थियां पाई जाती है। 

मेरुदंड :- मनुष्य में मेरुदंड का निर्माण 33 अस्थि से होता है। जिनमें से 9 अस्थियां संयुक्त होकर त्रिक अस्थि से क्रम एवं अनुत्रिक कोकसीसी अस्ति बनाते हैं। तथा 24 प्रथक अस्थि होती हैं। अर्थात वयस्क अवस्था में कशेरुक दंड में कुल 26 अस्थियां पाई जाती हैं। जिनमें से 24 प्रथक अस्थियां तथा दो संयुक्त अस्थियां त्रिक एवं अनुत्रिक होती हैं। त्रिक अस्थि कश्ती पांच कशेरूक अस्थि से तथा अनुत्रिक चार कशेरुका अस्थि से बनी होती हैं। कशेरुक दंड शरीर को आलंबन प्रदान करता है। तथा कशेरुक दंड की कशेरुकाओं जुड़कर कशेरुक नाल बनाती हैं। जिसमें मेरुरज्जु सुरक्षित रहता है। 

Note :- कशेरुक दंड में गिरवा प्रदेश सात अस्थि सांनायकाल बॉन्ड कहलाती हैं। तथा वर्कस प्रदेश की अस्थि थोरेसिक बिंदवक्ष कशेरुक कहलाती हैं। लंबवर एवम् अनुत्रिक की बीच के 5 अस्थि संयुक्त रुप से त्रिक कोशिकाएं कहलाती हैं। तथा अंतिम चार अस्थि अनुत्रीक तथा पूछ कसेरूक कहलाती हैं। 

 उरोस्थि :- वक्ष के उधर भाग में पसलियों के मध्य स्थिति चपटी एवं संकरी अस्थि उरोस्थि कहलाती है। जो तीन भागों में बटी हुई होती है। 

पसलियां :- मनुष्य में कुल 12 जोड़ी पसलियां तथा 24 पसलियां होती हैं। प्रत्येक पसली चपटी एवं वकृत होती है। प्रत्येक पसली पृष्ठ भाग पर मेरुदंड व कसेरूक तथा अधर भाग पर पूर्व अस्थि से जुड़ी होती हैं। मानव में तीन प्रकार की पसलियां होती हैं। 

  • वास्तविक पसलियां :- प्रथम 7 जोड़ी पसलियां वास्तु पसलियां कहलाती हैं। जो अधर सतह पर सीधे उरोस्थि से जुड़े होते हैं।
  • कूट पसलियां :- आठ से 10 जोड़ी अधर सिरे पर सीधे उरोस्थि से ना जुड़कर परस्पर उपास्थि के माध्यम से सातवीं जोड़ी पसली के साथ जुड़ी रहती है। इन्हें कूट पसलियां कहा जाता है। 
  • पलावी पसलियां :- 11वीं तथा 12वीं जोड़ी पसलियां अधर सिरे पर उरोस्थी या अन्य किसी भी पसली से नहीं जुड़ी होती हैं अतः इन्हें पलावी या मुक्त पसलियां कहा जाता है। 

परिधिय कंकाल


परिधिय कंकाल :- मानव के परिधिय कंकाल तंत्र में कुल 126 अस्थि होती हैं। परिधि कंकाल तंत्र मेखला अस्थि एवम अगर तथा पश्च पाद की अस्थि से मिलकर बना होता है। 

  • मेंखलाएं :- मेखलाए दो भागों में या दो प्रकार में विभेदित होती हैं।
    • अंश मेखलाएं
    • श्रोणी मेखलाएं

अंश मेखलाएं :- कंधे अथवा स्कंद की अस्थि अंश मेखला कहलाती है। जो दो पृथक अदविंश से विभेदित होती है। दोनों अर्दांश अग्र पाद एवं अक्षीय कंकाल के मध्य स्थित होते हैं। प्रत्येक अर्दांत में एक जंतुक तथा एक अंश फलक है से मिलकर बना होता है। 

जंतुक अस्थि :- यह चपटी व लंबी अस्थि होती है। जो एक और उरोस्थि से तथा दूसरी और अंश फलक के अंश कूट प्रवढ़ से जुड़ी होती है। इसे कॉलर अस्थि भी कहा जाता है ।

अंश फलक :- अंश फलक चपटी एवं त्रिभुजाकार अस्थि होती है। जो दूसरी से सातवी पसली को ढकती हुई वक्ष के ऊपरी पृष्ठ भाग तक पाई जाती है। तथा कंधे का निर्माण करती है। इसका बाहरी सिरा अंश कूट प्रवर्ध बनाता है। जिसमें गड्ढा या खाच पाई जाती है। जिसे अंश उल्लूखल कहां जाता है। जिसमें होमरस का शिरा जुड़ा होता है। जिसमें स्कंध संधि बनती है। जो कंदूक खलीका संधि कहा जाता है। 

श्रोणी मेखलाएं :- श्रोणी मेखलाएं शरीर के पश्च भाग में कमर के नीचे दोनों पैरों के बीच उदर गुहा में स्थित होती हैं। श्रोणि मेखलाएं भी अंश मेखलाएं के समान दो अर्दांश में विभक्त होती हैं। परंतु दोनों अर्दांश जघन सधान प्यूबिश सिमफिसिस द्वारा जुड़ी होती हैं। प्रत्येक अर्दांश से 3 अस्थि से मिलकर बना होता है। जिन्हें क्रमश: इलियम, इसिच्याम, आसनस्थि, प्यूबीश जघनस्थी से मिलकर बनी होती हैं। प्रत्येक अर्दांश के बाहर की ओर एक गड्ढा पाया जाता है। जिसे एस्टीब्लम कहा जाता है। जिसमें पैर की उर्विका अस्थि का सीरा जुड़ा होता है। इस प्रकार त्रिक एवम् अनुत्रिक व दोनों ओर की इलियम, इसिच्याम, आसनस्थि, प्यूबीश मिलकर श्रोणी क्षेत्र का निर्माण करती हैं। 

अग्र पाद एवम् भुजाओं की अस्थि :- मनुष्य के एक अग्र पाद में कुल 30 अच्छी होती हैं। अर्थात दोनों भुजाओं में कुल 60 अस्थि होती हैं। जिनमें हुमरस, रेडियस, अल्ना, मणिबाधिका, कार्पस, एवम् अमूलय अस्थि फ्रिंग बोनस सम्मिलित हैं। 

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