किरचॉफ का प्रथम (संधि) व द्वितीय (लूप) नियम | Kirchaf Ka Niyam

Kirchaf Ka Niyam : दोस्तों आज हम आप को गति किसे कहते है के बारे में लेख लिखा है। इस लेख में हमने किरचॉफ के नियम के बारे इस लेख मे विस्तार से जानकारी दी है।

अक्सर कक्षा ,12 के विद्यार्तियो को किरचॉफ का नियम के बारे पूछा जाता है। इसलिए विद्यार्तियो की सहायता के लिए हमने Kirchhoff Ka Niyam लिखा है।

Kirchaf Ka Niyam

Kirchaf Ka Niyam In Hindi


किरचॉफ का नियम  :- 

                              किन्हीं जटिल परिपथो में वोल्टता वह धारा के मान ज्ञात करने के लिए किरचॉफ में निम्न दो नियम दिए। 

किसी विद्युत परिपथ में जिस बिंदु पर तीन या तीन से अधिक शाखाएं मिलती है। उसे संधि कहते है। 

किसी विद्युत परिपथ के जाल का वह भाग जिसमें विद्युत धारा नियत रहती है। शाखा कहलाती है। 

विभिन्न चालकों, प्रतिरोधो एवं अवयवों से मिलकर बना परिपथ लूप या पास कहलाता है। 

जटिल विद्युत परिपथों के लिए किरखोफ  द्वारा प्रतिपादित दोनो नियम निम्न प्रकार हे। 

Sandhi Niyam


  1. किरचॉफ का प्रथम नियम/ संधि नियम :- 

                                                     इस नियमानुसार परिपथ में किसी बिंदु करें मिलने वाली समस्त धाराओं का बीजगणितीय योग शून्य होता हैं। अर्थात

      I = 0

जितनी धारा संधि में प्रवेश करती है। उतनी ही धारा संधि से बाहर गमन करती है। अर्थात

विद्युत परिपथ में किसी संधि पर प्रवेश करने वाली धारा का योग, उसी संधि से निकलने वाली धारा के योग के बराबर होता हैं

आने वाली धाराओं का योग = जाने वाली धाराओं का योग

इसे किरचॉफ का प्रथम नियम कहते है।

जितना आवेश संधि में प्रवेश करता है उतना ही आवेश संधि से बाहर निकलता है अतः किरचॉफ का प्रथम नियम आवेश संरक्षण पर आधारित है।

 संधि के अंदर आने वाली धारा को धनात्मक व संधि से बाहर जाने वाली धारा को ऋणात्मक लेते है।

इस चित्र में 5 धाराएं प्रवाहित हो रही हैं इनमें से I1 व I2 धाराएं संधि में प्रवेश कर रही है जबकि I3 , I4 ,I5 धाराएं संधि से बाहर निकल रही है। अतः किरचॉफ के नियम से 

 I1 + I2 – I3 – I4 – I5  = 0

Loop Niyam


किरचॉफ का द्वितीय नियम/वोल्टता या लूप नियम :-

                                                                इस नियमानुसार किसी बंद लूप या पास के सभी प्रतिरोध के सिरों पर विभव पतनो अर्थात धारा व प्रतिरोध का गुणनफल का योगफल उस बंद लूप में आने वाले सैलो के कुल विद्युत वाहक बलो के योग के तुल्य होता हैं। अर्थात

                 ∑IR  = ∑ε

बंद लूप में किसी प्रतिरोध से धारा की दिशा में चलने पर प्रतिरोध व धारा का गुणनफल धनात्मक व विपरीत दिशा में चलने पर ऋणात्मक लेते है।

परिपथ में किसी सेल में सेल के ऋण इलेक्ट्रोड से धन सिरे की ओर चलने पर सेलो का विद्युत वाहक बल धनात्मक जबकि धन इलेक्ट्रोड की ओर चलने पर विद्युत वाहक बल ऋणात्मक लेते है 

हमें निम्न लूप के लिए किरचॉफ का नियम उपयोग लेते हुई समीकरण लिखकर हल करना है

R1 प्रतिरोध के सिरों पर उत्पन्न विभवांतर = IR1

R2  प्रतिरोध के सिरों पर उत्पन्न विभवांतर = IR2

चिन्हों का ध्यान का ध्यान रखते हुए विभवांतर IR1 तथा IR2 को धनात्मक लेते है तथा सेल में ऋण टर्मिनल से धन टर्मिनल की तरफ चला जा रहा है अतः सेल का विद्युत वाहक बल भी धनात्मक होगा 

अतः

किरचॉफ के द्वितीय नियम से

प्रतिरोधों के सिरों पर उत्पन्न विभवांतर का बीजगणितीय योग =  सेलो के विद्युत वाहक बालो के बीजगणितीय योग

अतः

Vs = IR1 + IR2

Vs = I(R1 + IR2)

Vs = IRT

जहॉ RT = R1 + R2

इसे आवश्यकतानुसार आगे भी हल किया जा सकता है और हर मान ज्ञात किया जा सकता है।

किरचॉफ का द्वितीय नियम ऊर्जा संरक्षण पर आधारित है

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